उसके मन में कोई अपराध बोध है जिसका जिक्र वो बार-बार करता है तो ऐसा व्यक्ति डिप्रेशन का शिकार हो सकता है इसके अलावा अपनी पसंदीदा गतिविधियों में मन नहीं लगता, किसी के साथ भी समय बिताने की इच्छा ना होना. किसी से बात करने का मन ना होना.
ठीक से ना सोना या जरूरत से ज्यादा नींद लेना भी डिप्रेशन के लक्षण हो सकते हैंl
इसके अलावा अगर उसे मृत्यु या आत्महत्या के विचार आ रहे हैं तो आपको सावधान हो जाना चाहिए और फौरन किसी मनोचिकित्सक या मनोवैज्ञानिक से बात करनी चाहिए बीमारी का पता चलने पर अधिकतर मामलों में साइको थेरेपी से दवाओं या फिर दोनों तरीकों से उपचार हो जाता है. और इसमें 2 से 4 हफ्ते ही लगते हैं. हालांकि कुछ मामलों में इलाज थोड़ा लंबा भी खिंच सकता है लेकिन सब्र रखने पर धीरे-धीरे इलाज का असर होने लगता है, हमारे समाज की एक कड़वी सच्चाई है कि मानसिक स्वास्थ्य को गंभीरता से नहीं लिया जाता हैl
जबकि भारत में हर 20 लोगों में एक व्यक्ति डिप्रेशन का शिकार है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक अमेरिका और चीन के बाद भारत, डिप्रेशन से पीड़ित तीसरा बड़ा देश है. भारत में 20 करोड़ लोग हैंl
जो किसी ना किसी मानसिक बीमारी से पीड़ित हैं. देश में 15 से 29 वर्ष के आयु वर्ग में करीब 15 प्रतिशत ऐसे युवा हैं जिन्हें मानसिक स्वास्थ्य की कोई ना कोई समस्या है विश्व स्वास्थ्य संगठन का ये भी आंकड़ा है कि दुनिया में हर चार में से एक व्यक्ति अपने जीवन के किसी ना किसी मोड़ पर किसी मानसिक बीमारी से पीड़ित होता है. दुनिया में 45 करोड़ लोग हैं जो इस वक्त ऐसी ही किसी मानसिक बीमारी से लड़ रहे हैं. सबसे खतरनाक बात ये है कि डिप्रेशन की वजह से आत्महत्या होती है और दुनिया में हर वर्ष करीब 8 लाख लोग इसी की वजह से खुद की जान ले लेते हैं, जो कि काफी चिंताजनक हैl
गौरव राजपुरोहित
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